चुनाव आयोग पूरे देश के लिए नई वोटर लिस्ट तैयार करेगा। इसका उद्देश्य डुप्लीकेट और फर्जी वोटरों को हटाना है। नए वोटरों को जोड़ने की भी योजना है। यह काम अगस्त-सितंबर से शुरू हो सकता है। बिहार में वोटर लिस्ट अपडेट करने का काम पहले ही शुरू हो चुका है। अन्य राज्यों में भी स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन किया जाएगा।

नई दिल्ली: जिस तरह से बिहार के लिए डोर-टु-डोर सर्वे करके नई फ्रेश पोटर लिस्ट बनाने का काम शुरू किया गया है। ठीक इसी तर्ज पर चुनाव आयोग पूरे देश के लिए नई फ्रेश पोटर लिस्ट तैयार कराएगा, ताकि देश के सभी राज्यों की वोटर लिस्टों से डुप्लिकेट, फेक, शिफ्ट और मृत वोटरों को डिलीट किया जा सके और जो नए वोटर हैं, उन्हें जोड़ा जा सके। उम्मीद जताई जा रही है कि बड़े स्तर पर यह काम इसी साल अगस्त-सितंबर से शुरू किया जा सकता है।
असली वोटर्स पर चुनाव आयोग का फोकस
चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह से देशभर में अलग-अलग राज्यों से वोटर लिस्ट में तरह-तरह की समस्याओं की खबरें सामने आती है। उसे देखते हुए जरूरी है कि पूरे देश की वोटर लिस्ट को एकदम फ्रेश और नया बनाया जाए, ताकि हर राज्य की वोटर लिस्ट में असली वोटर ही रह सके। बाकी एक से अधिक राज्यों की वोटर लिस्ट में नाम वाले वोटर, डेथ हो चुके वोटर, एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट हो चुके, विदेशी नागरिकता पाने वाले या किसी भी रूप में फर्जीवाड़े से नाम जुड़वा चुके फेक वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए जाएंगे। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं होगा कि देश के नागरिक किसी भी जेनवन वोटर का नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाएगा। अगर गलती से किसी का नाम कट भी जाएगा तो वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिकेशन करने के बाद उन्हें अपील का अवसर दिया जाएगा। जिसके बाद जांच करके अगर किसी जेनवन वोटर का नाम वोटर लिस्ट से कट भी गया है तो उसका नाम फिर से वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा।SIR के तहत अपडेट होगी लिस्ट
अधिकारियों ने यह भी बताया कि जिस तरह से बिहार की वोटर लिस्ट को स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन (SIR) के तहत अपडेट किया जा रहा है। इसी तरह से अन्य राज्यों की वोटर लिस्ट को भी पूरी तरह से फ्रेश करने के लिए स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन किया जाएगा। बिहार के लिए वोटर लिस्ट को अपडेट करने एक जनवरी 2003 की कट ऑफ डेट मानी गई है। इससे पहले इस डेट तक ही बिहार को वोटर लिस्ट के लिए स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन किया गया था। इसी तरह से दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के बाकी अन्य तमाम राज्यों के लिए भी यह स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन वाली कट ऑफ डेट रखी जाएगी। जिस भी राज्य में 2001,2002.2003 या 2004 के अलावा जिस भी साल में इस तरह का स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन हुआ होगा।उस डेट को कट ऑफ डेट माना जाएगा।
कट ऑफ डेट से क्या फायदा?
इस कट ऑफ डेट का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इस डेट तक जिसका भी नाम वोटर लिस्ट में शामिल होगा। उसे देश का नागरिक मानते हुए आगे वोटर लिस्ट को अपडेट करते वक्त उसका नाम जोड़ लिया जाएगा और उससे कोई दस्तावेज भी नहीं मांगे जाएंगे। जबकि इस कट ऑफ डेट के बाद जितने भी लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़े होंगे या नया वोटर बनेगा। उन सभी से उनके भारत की नागरिकता शो करने के तहत डेट ऑफ बर्थ और वर्ष प्लेस जैसे दस्तावेज मांगे जाएंगे।बिहार से हो गई शुरुआत
हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि अगर किसी वोटर के पास किन्हीं कारणवश अपनी पहचान साबित करने जैसा कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं होगा। ऐसे में उसका नाम वोटर लिस्ट में कैसे जुड़ेगा। आयोग का कहना है कि इसके बड़े फायदे सामने आएगें। देश में यह बड़ा काम होने वाला है। जिसकी शुरुआत बिहार से कर दी गई है। अगर हमारी वोटर लिस्ट अपडेट हो जाएगी।
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